अक्षय तृतीया (आखातीज) कल 10 मई 2024, शुक्रवार भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता के विशेष पूजा

अक्षय तृतीया (आखातीज) कल 10 मई 2024, शुक्रवार

हमारे यहां अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया का दिन अपने आप में अबूझ स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन शुभ कार्यों को करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन को आमतौर पर आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय तृतीया वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल अक्षय तृतीया या आखा तीज कल 10 मई 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त-:

तृतीया तिथि 10 मई शुक्रवार को प्रातःकाल 04:17 बजे प्रारंभ होकर संपूर्ण दिन रहेगी।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता की पूजा उपासना होती है, इस दिन सूर्योदय से लेकर सुबह 10:30 तक पूजा उपासना का श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त रहेगा।

खरीदारी के लिए चौघड़िये-:
अक्षय तृतीया के दिन सोना, चांदी के आभूषण, बर्तन, वस्त्र, वाहन इत्यादि खरीदने की परंपराएं रही है अतः आप इन शुभ चौघड़ियों में संबंधित वास्तुएं खरीद सकते हैं।
शुभ समय-:
चर-: 05:33 से 07:14 समय तक|
लाभ-:07:14 से 08:55 समय तक|
अमृत-:08:55 से 10:36 समय तक|
शुभ-: 12:17 से 13:58 समय तक|

अक्षय तृतीया का महत्व-:

a painting of a God Vishnu & Laxmi holding a bird
अक्षय तृतीया (आखातीज) कल 10 मई 2024, शुक्रवार

अक्षय का का सबदिक अर्थ है अविनाशी जो हमेशा बना रहता है जो कभी ख़त्म ना हो और तृतीया का अर्थ है शुक्ल पक्ष का तीसरा दिन, ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन शुभ कार्य करते हैं, वह हमेशा के लिए बना रहता है और कभी खत्म नहीं होता। अक्षय तृतीया के इस दिन लोग नए व्यापारिक उपक्रम, नौकरी, गृह प्रवेश शुरू करते हैं और धार्मिक कार्य करते हैं। इस दिन सोना, चांदी और आभूषण खरीदने के लिए शुभ माना जाता है और यह भी माना जाता है कि ये चीजें उनके जीवन में सफलता, सौभाग्य और समृद्धि लाती हैं।

अक्षय तृतीया, जिसे “कभी न खत्म होने वाला तीसरा चंद्र दिवस” भी कहा जाता है, हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं में बहुत महत्व रखती है। “अक्षय” शब्द का अर्थ शाश्वत या अविनाशी होता है, जिसका अर्थ है कुछ ऐसा जो निरंतर और चिरस्थायी रहता है। “तृतीया” चंद्र मास के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन को संदर्भित करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए कोई भी शुभ कार्य शाश्वत आशीर्वाद और कभी न खत्म होने वाली समृद्धि लाते हैं।
इस शुभ अवसर पर कई महत्वपूर्ण घटनाएँ होती हैं। कई लोग नए व्यवसाय शुरू करते हैं, नई नौकरी शुरू करते हैं या नए घर में जाते हैं। यह धार्मिक अनुष्ठानों और आध्यात्मिक प्रथाओं में शामिल होने का भी दिन है। सोना, चांदी या आभूषण खरीदना बहुत शुभ माना जाता है, माना जाता है कि इससे व्यक्ति के जीवन में सफलता, सौभाग्य और समृद्धि आती है।
इन वस्तुओं को खरीदने का कार्य धन और समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि ये न केवल भौतिक धन बल्कि खुशी और तृप्ति भी लाते हैं। इसके अलावा, अक्षय तृतीया पर लोग दान-पुण्य, मंदिरों में दान या सामुदायिक सेवा में भाग लेकर अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त करते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व केवल भौतिक लाभ से कहीं बढ़कर है; यह सकारात्मकता, प्रचुरता और कृतज्ञता विकसित करने का दिन है। नवीनीकरण और विकास की भावना को अपनाकर, व्यक्ति एक उज्जवल और अधिक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना चाहता है। अक्षय तृतीया एक पुण्य और धार्मिक जीवन जीने से मिलने वाले अनन्त आशीर्वाद की याद दिलाती है, जहाँ ईमानदारी और भक्ति के साथ किया गया प्रत्येक कार्य अनंत आशीर्वाद और पूर्णता की ओर ले जाता है।

अक्षय तृतीया व परंपराएं-:

भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता को समर्पित विशेष पूजा

यह दिन नई शुरुआत के लिए, विशेष रूप से विवाह, सगाई , गृह प्रवेश, व्यापार आरंभ और अन्य निवेशों के लिए शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया को सनातन संस्कृति में एक शुभ दिन माना जाता है और यह समृद्धि की अनंत बहुतायत का प्रतिनिधित्व करता है। देवी-देवताओं को प्रार्थना अर्पित करना भी पूजा का हिस्सा है। इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है, विशेष पूजा की जाती है, 

इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
अक्षय तृतीया हमारी सांस्कृतिक विरासत में बहुत महत्व रखती है, यह नई शुरुआत और शुभ अवसरों का दिन है। इसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, व्यवसाय शुरू करने और निवेश करने जैसे आयोजनों के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है। यह दिन हमारी प्राचीन परंपराओं में गहराई से निहित है, जो समृद्धि की प्रचुरता का प्रतीक है। यह एक ऐसा समय है जब देवताओं से प्रार्थना की जाती है, उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन मांगा जाता है। मंदिरों को सजाया जाता है, विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, और भक्त इस शुभ दिन पर धन और समृद्धि के दिव्य अवतार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। 

अक्षय तृतीया पर पूजा करने का कार्य केवल एक धार्मिक प्रथा नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है, जो हमारे जीवन में आध्यात्मिकता और कृतज्ञता के महत्व को दर्शाता है। यह एक ऐसा दिन है जब लोग अपनी भक्ति व्यक्त करने और सफलता, समृद्धि और खुशी के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए एक साथ आते हैं। अक्षय तृतीया के शाश्वत आशीर्वाद में विश्वास पीढ़ियों से चला आ रहा है, सदियों से एक पोषित परंपरा के रूप में चला आ रहा है जो हमारे जीवन को सकारात्मकता और प्रचुरता से समृद्ध करता है।

अक्षय तृतीया दान-:

इस दिन दान-सेवा इत्यादि करने से भी अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है अतः इस दिन काफी लोग मंदिरों व गौशाला मंत दान पुण्य करते हैं।अक्षय तृतीया पर दान देने और सेवा के कार्य करने से अनंत पुण्यों का संचय होता है। इसलिए, कई लोग इस दिन मंदिरों और गौशालाओं में दान करना पसंद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दान के ऐसे कार्य न केवल दाता को

 आशीर्वाद देते हैं बल्कि उनके आध्यात्मिक विकास में भी योगदान देते हैं। समुदाय को वापस देकर या ज़रूरतमंदों की मदद करके, लोग अक्षय तृतीया पर मनाई जाने वाली उदारता और करुणा की भावना का सम्मान करते हैं। यह दिन दूसरों के साथ अपने आशीर्वाद को साझा करने और समाज के कल्याण में योगदान करने की याद दिलाता है। चाहे वह भोजन, कपड़े, धन या समय का दान हो, इस शुभ दिन पर किए गए दयालुता के हर कार्य को कई गुना बढ़ाया जाता है, जिससे दुनिया में सकारात्मकता और सद्भावना बढ़ती है।

अक्षय तृतीया जप-:

भगवान विष्णु व Shree Ram

अक्षय तृतीया अक्षय फल प्रदान करने वाली मानी गई है अतः इस दिन मंत्र जप- नाम जप- रामचरितमानस भगवतगीता- श्रीविष्णु सहस्त्रनाम- गोपाल सहस्त्रनाम- सुंदरकांड- श्रीहनुमान चालीसा- श्रीराम रक्षा स्तोत्र इत्यादि के पाठ विधि विधान से किए जाते हैं।
माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर मंत्रों और प्रार्थनाओं का जाप करने से अनंत आशीर्वाद मिलता है। कई लोग रामायण, भगवद गीता, विष्णु सहस्रनाम, गोपाल सहस्रनाम, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा और राम रक्षा स्तोत्र जैसे पवित्र ग्रंथों का पाठ करते हैं। ये मंत्र विशेष अनुष्ठानों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ किए जाते हैं। इन श्लोकों का पाठ करके, व्यक्ति आध्यात्मिक उत्थान, सुरक्षा और समृद्धि की कामना करता है। इन ग्रंथों का पाठ न केवल ईश्वर का सम्मान करने का एक तरीका है, बल्कि मन और आत्मा को शुद्ध करने का एक साधन भी है। 

प्रत्येक मंत्र या प्रार्थना का गहरा महत्व है, जो कालातीत ज्ञान का संदेश देता है और ईश्वरीय आशीर्वाद का आह्वान करता है। अक्षय तृतीया पर मंत्रोच्चार के अभ्यास के माध्यम से, भक्त अपने जीवन में आंतरिक शांति, शक्ति और सद्भाव पैदा करने की आकांक्षा रखते हैं। यह एक पवित्र परंपरा है जो उन्हें उनकी आस्था और आध्यात्मिकता से जोड़ती है, और ईश्वर के प्रति भक्ति और श्रद्धा की गहरी भावना को बढ़ावा देती है। ऐसा माना जाता है कि इन पवित्र ग्रंथों के पाठ से उत्पन्न होने वाले कंपन पूरे ब्रह्मांड में गूंजते हैं, जिससे सकारात्मकता और शुभता फैलती है। इस प्रकार अक्षय तृतीया आध्यात्मिक कायाकल्प और नवीनीकरण का दिन बन जाता है, जो व्यक्तियों को ईश्वर के साथ अपने संबंध को गहरा करने और समृद्ध और पूर्ण जीवन के लिए आशीर्वाद मांगने का अवसर प्रदान करता है।

अक्षय तृतीया पूजा विधि-:

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के जल में थोड़ा गंगाजल मिला लें. पूजा स्थल और आसपास की जगह को साफ करें. फिर भगवान श्रीविष्णु, माता लक्ष्मीजी की तस्वीर- मूर्तियां स्थापित करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का दूध, शहद, दही, घी, शक्कर और जल के मिश्रण से अभिषेक करें।

भगवान विष्णुजी को तुलसी पत्र अर्पित करें, अक्षत और चंदन का टीका, और माता लक्ष्मी को कुमकुम का टीका लगाएं।
भगवान श्री विष्णु, माता लक्ष्मी को फल पुष्प अर्पित करें। फल में विशेष कर केला व गुलाब, कमल, गुड़हल, मोगरा, गेंदा इत्यादि पुष्प अर्पित करें।
जौ, गेहूं, तिल, चना दाल, दूध से बने मीठे पकवान, खीर और अन्य घर का बना शाकाहारी भोजन का भोग लगाएं. इसके बाद कपूर, घी का दीया और धूप जलाएं।

पूरे परिवार के साथ मिलकर धूप, दीप, कपूर इत्यादि से भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी जी की आरती करें।।

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